Monday, December 3, 2012

tum bin

तुम बिन ज़िन्दगी की सहर नहीं
तुम बिन मेरी बसर नहीं

बस तेरे लिए जीते हैं हम
इस इंतज़ार की कोई कसर नहीं

तुझसे मिल कर खुश रहूँ मैं
बात दुनिया को ये गुजर नहीं

सजदे किये बहोत तेरे  वास्ते
अब दुआ में कोई असर नहीं

जीता हूँ मरने की आरज़ू में
तुझ बिन फिगार मुकम्मल  नहीं

Monday, November 5, 2012

anjaam

अच्छा हुआ तूने मुझे ठुकरा दिया
प्यार का अंजाम मैंने पा लिया

ऐसा हंसी दर्द दिया तूने मुझे
और सारे गम भुला दिया

नामुमकिन है भुला कर जीना
तुझे रूह  में बसा लिया

बे-इन्तहा मोहब्बत है तुझसे
खुदा अपना तुझे बना लिया


Saturday, August 25, 2012

tera chehra

हर चेहरा तेरा चेहरा बन जाता है
सिवा तेरे कुछ और अब न भाता है

बस तेरे ही ख्यालों में खोया रहता हूँ
हर ख्याल तेरा ताजमहल हो जाता है

तेरे आने की दस्तक सुनते ही
हर ख्वाब रंगीन हो जाता है

माना कि मोहब्बत है ग़म का इक नाम
दीदार तेरा वो ग़म गलत कर जाता है

मालूम नहीं मिल पायेंगे हम, मगर
ख्वाब-ए-विसाल से दिल खुश हो जाता है

मरता नहीं कोई इनकार के बाद "फिगार "
बस ज़िन्दगी से फासला हो जाता है 

Wednesday, February 29, 2012

anony

नज़रें मिलते ही मुझसे तू रूठ जाती है
और तेरी नज़रों में मैं डूब जाता हूँ

तू इस जहां कि नहीं, एक परीजाद है
तुझे देखते ही ये सवाल आता है

तुझसे मिलने कि चाहत, पाने कि चाहत है
बस यही ख्याल मेरे दिल में आता है

एक बार आ समा जा मुझमे
देख कितना सुकून तुझे आता है

तेरी फुरक़त में जो दर्द मिलता है
जीस्ते-गम मुझसे दूर हो जाता है

बस तेरी आरजू है  इस दिल को
कुछ और नहीं मुझे समझ आता है     

ख्वाब और हकीक़त

सुबह-सुबह ख्वाब से वापसी के बाद देखा
रात की बची हुई शराब में एक चेहरा उतरा रहा है

झुक कर देखा अजनबी था, मगर अनजाना नहीं

रोज चौराहे पर उससे मिलता हूँ
पर पूछ नहीं पता "कौन हो तुम"

रोज सपनों में आकर बतियाते हो
हाल-चाल पूछते हो, झगड़ते भी हो
और रूठ भी जाते हो , लेकिन
फिर भी रोज आते हो सपनों में

हकीक़त में नज़ारा कुछ और ही होता है
न मैं तुम्हे देख पता हूँ, न ही तुम दिखना चाहती हो
किसी पहचान के बिना भी अनबन है

तुम रोज मुझसे नज़रें छुपाती हो
और उतना ही इन आँखों में बसती जाती हो
अजब बात है!!

आज रात जब सपनों में आओगी
तो पूछूँगा तुमसे, कि माज़रा क्या है ?
 

Saturday, February 25, 2012

अजनबी

बेक़रारी दी तुने इस क़दर अजनबी
करार से भी करार न मिला

इस मोड़ पे पहुंचा दिया तुने
मंजिल मिली पर रास्ता न मिला


तेरी आँखों में डूबने की हसरत है
ज़िन्दगी से कभी सुकून न मिला

न तेरे नाम का पता, न पते का पता
वजूद तेरा, इस दिल में ही मिला

रानाईये-इश्क की फ़िक्र नहीं मुझे
रुसवाईयों से दिले-मरहम मिला

बस अहसास दिला दे मुझे चाहती है
फ़िगार दुनिया से झगड़ता मिला

हाले-दिल

दिल के जज्बात को छुपायें कैसे
तुझसे हाले-दिल बताऊँ कैसे

तू अजनबी सही, फिर भी प्यारा है
ये अहसास तुझे दिलाऊं कैसे

इन हालातों में समझता हूँ तेरी कश्म-कश
पाकीज़ा है चाहत मेरी ये बताऊं कैसे

तेरे दीदार की है हर वक़्त हसरत
तुझे नज़रों के सामने लाऊँ कैसे

तेरी चाहत में जान भी दे सकता हूँ
बाद मरने के ये ज़ताओं कैसे

मुझे रुसवा न कर हकीकत के बाद
आशिकी का यकीन दिलाऊं कैसे

ज़िन्दगी हो जाए मेरे ख्वाबों की तरह
इस हसरत को हकीकत बनाऊं कैसे