तुम बिन ज़िन्दगी की सहर नहीं
तुम बिन मेरी बसर नहीं
बस तेरे लिए जीते हैं हम
इस इंतज़ार की कोई कसर नहीं
तुझसे मिल कर खुश रहूँ मैं
बात दुनिया को ये गुजर नहीं
सजदे किये बहोत तेरे वास्ते
अब दुआ में कोई असर नहीं
जीता हूँ मरने की आरज़ू में
तुझ बिन फिगार मुकम्मल नहीं
तुम बिन मेरी बसर नहीं
बस तेरे लिए जीते हैं हम
इस इंतज़ार की कोई कसर नहीं
तुझसे मिल कर खुश रहूँ मैं
बात दुनिया को ये गुजर नहीं
सजदे किये बहोत तेरे वास्ते
अब दुआ में कोई असर नहीं
जीता हूँ मरने की आरज़ू में
तुझ बिन फिगार मुकम्मल नहीं