जब न कुछ बात बनी, बात मैंने और कर ली
जीस्त से ठन गयी तो मौत से दोस्ती कर ली
फस्ले-बहारा का शौक था, फूलों से दिल्लगी कर ली
फूलों ने चुभोया तो काँटों से दोस्ती कर ली
रस्म निभाने की खातिर राम की रहबरी कर ली
राम की समझ आई, रावण की बंदगी कर ली
साए का ही साथ था रोशनियों के सफ़र में
रोशनी से चौंक गए, तीरगी की बशिंदगी कर ली
Saturday, July 31, 2010
मु....
फूल था, बहार था, बरखा था, क्या था
कल मैंने तेरा नाम सुना था, क्या था
उज्र है अपना आशिक कहने में हमें
कल चुपके से देख लिया था, क्या था
कोशिश की हमेशा न कहो कुछ
आँखों ही आँखों में बाँतें की, क्या था
खाते हो कसमें "भुला दिया है तुझको"
कल सपने में फिर आये थे, क्या था
कहते हो सिर्फ सिर्फ दोस्त हो
एक हरकत पे रूठ गए, क्या था
कल मैंने तेरा नाम सुना था, क्या था
उज्र है अपना आशिक कहने में हमें
कल चुपके से देख लिया था, क्या था
कोशिश की हमेशा न कहो कुछ
आँखों ही आँखों में बाँतें की, क्या था
खाते हो कसमें "भुला दिया है तुझको"
कल सपने में फिर आये थे, क्या था
कहते हो सिर्फ सिर्फ दोस्त हो
एक हरकत पे रूठ गए, क्या था
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