Saturday, July 31, 2010

जब ....

जब न कुछ बात बनी, बात मैंने और कर ली
जीस्त से ठन गयी तो मौत से दोस्ती कर ली

फस्ले-बहारा का शौक था, फूलों से दिल्लगी कर ली
फूलों ने चुभोया तो काँटों से दोस्ती कर ली

रस्म निभाने की खातिर राम की रहबरी कर ली
राम की समझ आई, रावण की बंदगी कर ली

साए का ही साथ था रोशनियों के सफ़र में
रोशनी से चौंक गए, तीरगी की बशिंदगी कर ली

5 comments:

  1. साए का ही साथ था रोशनियों के सफ़र में
    रोशनी से चौंक गए, तीरगी की बशिंदगी कर ली

    खूबसूरत पंक्तियाँ


    ब्‍लागजगत पर आपका स्‍वागत है ।

    किसी भी तरह की तकनीकिक जानकारी के लिये अंतरजाल ब्‍लाग के स्‍वामी अंकुर जी, हिन्‍दी टेक ब्‍लाग के मालिक नवीन जी और ई गुरू राजीव जी से संपर्क करें ।

    ब्‍लाग जगत पर संस्‍कृत की कक्ष्‍या चल रही है ।

    आप भी सादर आमंत्रित हैं,
    http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर आकर हमारा मार्गदर्शन करें व अपने सुझाव दें, और अगर हमारा प्रयास पसंद आये तो हमारे फालोअर बनकर संस्‍कृत के प्रसार में अपना योगदान दें ।
    धन्‍यवाद

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  3. वाह क्या बात है.
    हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं ई-गुरु राजीव हार्दिक स्वागत करता हूँ.

    मेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.

    यदि कोई सहायता चाहिए तो खुलकर पूछें यहाँ सभी आपकी सहायता के लिए तैयार हैं.

    शुभकामनाएं !


    "हिन्दप्रभा" - ( आओ सीखें ब्लॉग बनाना, सजाना और ब्लॉग से कमाना )

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  4. good effort, go on

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  5. इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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