Saturday, August 21, 2010

मुदावा

दर्दे-इश्क की दवा है कोई?
मतलब दवा का समझाए कोई?

दर पे बैठे तकते रहे पहरों-पहर
इस इन्तजार में आता है कोई

ख्वाबों का इक महल बनाया हमने
मकीं होना था किसे, मकीं हुआ कोई

सासों के थमने से ही मौत नहीं होती
मेरे कातिल को ये बतलाये कोई

मेरे क़त्ल के बाद की उसने ज़फा से तौबा
ऐसे कातिल का भला क्या करे कोई

वफ़ा, ईमान, इंसानियत, जिनसे-किताब हैं जहाँ
ऐसी दुनिया का भला क्या करे कोई

नाम को लिखना तेरे देता है मजा विसाल सा
इश्क में जूनून की हद बतलाये कोई

इब्ने-मरियम भी दे नहीं सकती मरहम
ऐसेफिगारका मुदावा क्या करे कोई

2 comments:

  1. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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